सूर्य नमस्कार बाबा रामदेव Surya Namaskar Baba Ramdev-सूर्य नमस्कार ही नहीं बाबा रामदेव ने योग का महत्व पूरे विश्व को बताया है। योग का प्रयोग पूरे विश्व में लाखो लोग अपने स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए करते हैं। उन्हीं योगों में है सूर्य नमस्कार।
सूर्य नमस्कार सभी आसनों में सबसे अधिक प्रभावशाली है। इसका कारण यह है कि सूर्य नमस्कार कई प्रकार के आसनों से मिलकर बना है। इसको करने से पूरे शरीर पर प्रभाव पड़ता है जिसके कारण शरीर की कई निरोग बिमारियां भी दूर हो जाती हैं।
सूर्य नमस्कार में 12 प्रकार के आसनों को किया जाता है तथा 12 मंत्रों का उच्चारण भी करते हैं। मंत्रों का उच्चारण सिर्फ मन की एकाग्रता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके रोज अभ्यास से पूरे शरीर को लाभ प्राप्त होता है।
सूर्य नमस्कार करने से शरीर में आक्सीजन का प्रवाह अच्छी तरह से होने लगता है जिससे रक्त प्रभाव ठीक रहता है। इससे हमारा वजन तो कम होता ही साथ ही ब्लड प्रेसर की समस्या में भी आराम मिलता है।
नीचे हम बाबा राम देव द्वारा बताये गये सूर्य नमस्कार का विवरण करें तथा इससे होने वाले लाभों को भी जानेंगे।
क्या होता है सूर्य नमस्कार What Is Surya Namaskar in Hindi?
सूर्य नमस्कार दो शब्दों से बना है सूर्य अर्थात सूरज और नमस्कार अर्थात प्रार्थना करना। इसी कारण से प्राचनी समय में ऋषी मुनी प्रात:काल सूर्य भगवान की पूजा सूर्य नमस्कार के द्वारा करते थे।
इस क्रिया में 12 प्रकार के आसनों के साथ ही 12 प्रकार के सूर्य मंत्रों को उच्चारण भी किया जाता है। सूर्य नमस्कार के प्रत्येक चरण में जो आसन किया जाता है वह अलग होता है। इस सम्पूर्ण 12 आसनों को ही सूर्य नमस्कार कहा जाता है।
सूर्य नमस्कार करने का तरीका Steps to do Surya Namaskar in Hindi
हम आपको यहां सूर्य नमस्कार करने का क्रमवार तरीका बताने जा रहे हैं। इसमें आपको प्रत्येक आसन को करना ही होता है।
1. प्रणाम मुद्रा या प्रमाण आसन :
यह सूर्य नमस्कार की पहली मुद्रा या आसन है। इसे करने के लिए सबसे पहले सावधान की मुद्रा में अर्थात सीधे खड़े होकर अपने दोनों हाथों को कंधे के समानांतर उठाते हुए दोनों हथेलियों को आपस में मिला लेना चाहिए अर्थात हाथों को जोड़ कर प्रणाम की मुद्रा में आना चाहिए।
फिर गहरी सांस लेकर कांधों को ढीला रखें। इसके पश्चात सांस को अंदर लेते हुए अपने हाथ ऊपर करते हुए सांस को छोड़कर प्रणाम की मुद्रा को ले लेना चाहिए।
2. हस्त उत्तानासन :
इस आसन में दोनों हाथों को कानों के पास से सांस अंदर लेते हुए ऊपर सर की ओर ले जाए। हाथों को स्ट्रेच करें और अपनी कमर को पीछे की ओर झुकाएं।
इस आसन के दौरान सांस गहरी और लंबी लेनी चाहिए जिससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ सके। जिससे पूरा शरीर, फेफड़े, मस्तिष्क अधिक मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त कर सकते हैं।
3. पाद हस्तासन :
इस आसन में सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए पेट के बल आगे की ओर झुकना है। इस मुद्रा में अपने हाथों से अपने पैर के अंगूठे को पकड़ने का प्रयास करते हैं। साथ ही पैर के टखनों को भी पकड़ते हैं।
इस आसन को हाथों से पैरों को पकड़कर किया जाता है इसी कारण से इसे पदहस्तासन कहा जाता है।
4. अश्व संचालन आसन :
इस आसन को करने के समय दाहिना पैर पीछे की ओर किया जाता है और इस पैर के घुटने को ज़मीन पर छुआना होता हैं।
छाती बाहर की तरफ निकली हो और चेहरे को उपर की ओर ले जाकर ऊपर देखने का प्रयास करें। यह ध्यान देना चाहिए कि इस मु्द्रा में कमर नहीं छुकनी चाहिए।
5. पर्वतासन :
इस आसन में जमीन पर पद्मासन में बैठ जाइए। सांस को धीरे-धीरे बाहर की आरे छोड़ते हुए बाएं पैर को भी पीछे की तरफ ले जाइए। यह ध्यान रखना चाहिए कि पैरों की एड़ियां आपस में मिली होनी चाहिए।
यह ध्यान रहे कि शरीर केवल दोनों घुटनों के बल स्थित रहे। शरीर को पीछे की ओर खिंचाव दें और एड़ियों को जमीन पर मिलाकर गर्दन को झुकाना चाहिए।
6. अष्टांग नमस्कार :
इस मुद्रा में सांस लेते हुए अपने शरीर को जमीन के बराबर में साष्टांग दंडवत प्रणाम की स्थिति में रखना चाहिए अर्थात अपने घुटने, सीने और ठोड़ी को जमीन पर लगाना चाहिए। और अपनी जांघों को थोड़ा ऊपर उठाते हुए सांस को छोड़ना चाहिए।
7. भुजंगासन :
इस मुद्रा में शरीर का ऊपरी हिस्सा उठा रहता है और बांकी नीचे का हिस्सा जमीन से चिपका रहता हैं। इसके साथ ही सर को उपर उठाकर ऊपर की ओर देखा जाता है। इसमें अपने शरीर को अपने हाथों की मदद से ऊपर की ओर उठाते हैं।
8. पर्वतासन :
इस अवस्था में आपको दुबारा से पर्वतासन की स्थिति में आना होता है। इसके लिए सांस छोड़ते हुए अपने शरीर के बीच के भाग को ऊपर की उठाने की कोशिश करें।
पर यह ध्यान देने योग्य बात है कि इस मुद्रा में दोनों हाथ सीधे रहें रहने चाहिए और अपनी एड़ियों को जमीन पर छूने का प्रयास करें। इसके साथ अपनी नाभि की ओर देखने की कोशिशि करें।
9. अश्व संचालन आसन :
यह अवस्था चौथी स्थिति की तरह ही है इसमें आप गहरी सांस लेते हुए अपने दाएं पैर को आगे की तरफ लेकर उस पर बैठ जाऐं और बाएं पैर को सीधा रखने का प्रयास करें। घुने से फर्स को छूने का प्रयास करें।
10. हस्तासन :
इस अवस्था में आप फिर से तीसरी स्थिति आ गये इसमें सांस को धीरे-धीरे बाहर की ओर छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन और कानों से सटे हुए सर से उपर की ओर ले जाएं। तथा पैरों के पंजो को जमीन को छूना चाहिए। पर ध्यान रखें कि घुटने सीधे रहें व माथा भी जमीन को छूये।
11. हस्त उत्तानासन :
यह मु्द्रा पुन: दूसरी अवस्था के समान है। इसमें सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर से पीछे गर्दन की आरे ले जाये तथा कमर को भी पीछे की तरहफ झुकाएं अर्थात शरीर को अर्धचक्रासन की अवस्था में ले जाये।
12. प्रणाम मुद्रा या प्रमाण आसन :
यह अवस्था फिर से पहली अवस्था मेें आने की है इसमें नमस्कार की मुद्रा में खड़े रहना है। इन सम्पूर्ण बारह आसनों के पश्चात विश्राम की स्थिति में आ जाना चाहिए। आराम के पश्चात फिर से इस आसन को करना चाहिए। इसको हम 4 से 5 बार कर सकते हैं और धीरे—धीरे इसकी क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
सूर्य नमस्कार के फायदे Benefits of Surya Namaskar in Hindi
उच्च रक्तचाप –
सूर्य नमस्कार को अगर प्रकार से किया जाय तो यह सही तरह से किया जाए, तो यह उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) की परेशानी को सही करने में मदद कर सकता है। इसका कारण है इस आसन को करने के समय शरीर में रक्त का प्रभाव अच्छी प्रकार होता है जिससे उच्च रक्तचाप नियंत्रित रहता है। इसके अलावा यह हृदय की नसों को भी मजबूत करने में मदद करता है।
मोटापे को कम करे –
अगर आप मोटापे की समस्या से परेशान हैं तो आपको प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करना चाहिए। इससे आपको मोटापा घटाने में फायदा होगा। इसको करने से वजन तो कम होता ही है साथ ही शरीर भी फिर बनता है। इससे उपापचय भी ठीक रहता है।
पाचन तंत्र को मजबूत करे –
अगर आपको पाचन तंत्र कमजोर है तो आपको प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करना चाहिए, क्योंकि इसको करने से पाचन तंत्र तो मजबूत होता ही है साथ ही गैस की समस्या में भी लाभ होता है। अत: जिन लोगों का पाचन तंत्र कमजोर रहना है उन्हें दवा के अलावा सूर्य नमस्कार को जरूर करना चाहिए।
मासिक धर्म में लाभदायक –
जिन स्त्रियों में मासिक धर्म की समस्य रहती है या मासिक धर्म नहीं होता है उनको इस दौरान पेट में दर्द रहता है, उनके लिए सूर्य नमस्कार लाभकारी है।
त्वचा में लाभ –
अगर आपको भी त्वचा में निखार लानाहै तो आपको सूर्य नमस्कार करना चाहिए इससे त्वचा में निखार तो आता ही है साथ ही शरीर में रक्त का सही प्रवाह बना रहता है। जिससे त्वचा में रौनक तो आती ही है व झुर्रियां भी कम हो जाती है।
जोड़ों व मांसपेशियों को मजबूत करे –
सूर्य नमस्कार के दौरान 12 प्रकार के आसन किये जाते हैं जिनको करने से हमारी मांसपेशिया मजबूत के साथ—साथ लचीली भी होती हैं।
कई अन्य बीमारियों में भी लाभदायक है सूर्य नमस्कार –
उपरोक्त बिमारियों के अलावा भी सूर्य नमस्कार ब्लड शुगर, मानसिक तनाव, गुर्दे से सम्बन्धित रोगर अन्य प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति अगर सूर्य नमस्कार को प्रतिदिन करें तो वह इन बिमारियों से मुक्ति पा सकते हैं व एक स्वस्थ्य जीवन जी पायेंग।