Prithvi Mudra — पृथ्वी मुद्रा को पृथ्वी वर्धक मुद्रा भी कहा जाता है। यह हमारे भीतर के पृथ्वी तत्व को बढ़ाने का कार्य करती है और साथ ही यह शरीर में पैदा होने वाले अग्नि तत्व को भी कम करती है। इसी कारण से इसे अग्नि शामक मुद्रा भी कहते है। Prithvi Mudra हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। यह शरीर के अन्दर आध्यात्मिक संतुलन के साथ ही उपचार की क्षमता को बढ़ाने के लिए भी लाभदायक मानी जाती है। हम इस लेख में आपको पृथ्वी मुद्रा क्या है, इसके लाभ और इसको करने के तरीकों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। तो आइये शुरू करते हैं इस लेख Prithvi Mudra को — Prithvi Mudra in Hindi।
पृथ्वी मुद्रा क्या है ? – Prithvi Mudra in Hindi
पृथ्वी मुद्रा संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बनी है। जिसमें पृथ्वी का अर्थ विशाल है तथा मुद्रा का अर्थ आसन, निशान है। पृथ्वी मुद्रा हमारे शरीर के अंदर की अग्नि तत्व को शांत करने का कार्य करती है इसी कारण से इसे अग्नि-शामक मुद्रा भी कहते हैं। पृथ्वी मुद्रा एक प्राचीन मुद्रा हैं यह करने में बहुत ही सरल एवं आसन मानी जाती है। हमारी अनामिका उंगली जिसे पृथ्वी तत्व से सबंधित माना जाता है इस क्रिया में उसमें दबाव डाला जाता है। जिससे हमारे शरीर की कई प्रकार की शारीरक समस्या का निराकरण होता है जैसे— शारीरिक व मानसिक कमजोरी, चक्कर आना, आदि।
पृथ्वी मुद्रा के फायदे – Benefits of Prithvi Mudra
योग की किसी भी मुद्रा को करने से हमें कई प्रकार के लाभ हो सकते हैं उसकी प्रकार पृथ्वी मुद्रा को करने से भी हमें बहुत से लाभ हो सकते हैं जो निम्न हैं —
1. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में पृथ्वी मुद्रा के फायदे –
रोगों से लड़ने के लिए हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होनी चाहिए अगर यह कमजोर हो तो हमें कई प्रकार के रोग बहुत जल्दी लग जाते हैं। अत: इन सबसे बचने के लिए हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होनी चाहिए। पृथ्वी मुद्रा शरीर में पृथ्वी तत्व को बढ़ाने में मदद करती है जिससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जो हमें कई प्रकार की बिमारियों से लड़ने में मदद करती है और उनमें हमें बचाती है। यह मुद्रा हमें कई प्रकार के रोगों से बचाती है जो निम्न हैं — पेट की परेशानियां, सूजन, ऑस्टियोपोरोसिस, पीलिया, बुखार, ओस्टियोमेलेशिया, उत्सर्जन, आंतों एवं मुंह के अल्सर, पेट में एसिड बनना, आंखों में जलन, मूत्र सम्बन्धी बिमारी, गुदा से जुड़ी समस्या, त्वचा में होने वाले दाने, सिर—हाथ—पैर की समस्या, हृदय समस्या, आदि।
2. मानसिक विकास के लिए पृथ्वी मुद्रा के फायदे –
पृथ्वी मुद्रा शारीरिक विकास तो करती ही साथ ही यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य एवं विकास के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह मुद्रा हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करती है साथ ही यह चिंता, भ्रम, चंचला से छुटकारा दिलाने में सहायक भी है। पृथ्वी मुद्रा दिमाग के साथ ही शरीर को भी स्थिर और केंद्रित बनाती है। यह मन को शांत करने में मदद करती है और हमारी स्मरण शक्ति को भी बढ़ाती है। अत: ऐसा कहा जा सकता है पृथ्वी मुद्रा मानसिक विकास के बहुत लाभदायक है।
3. कमजोरी को दूर करने में पृथ्वी मुद्रा के लाभ —
पृथ्वी मुद्रा मुख्य रूप से उतकों की शक्ति बढ़ाने में मदद करती है। अत: अगर आप इसका नियमित अभ्यास करते हैं तो आपकी शरीरिक एवं मानसिक दोनों शक्तियों में बढ़ोत्तरी होती है। पृथ्वी तत्व को नाखूनों, हड्डियों, मांस एवं मांसपेशियों के अतिरिक्त अन्य आंतरिक अंगों का प्रमुख घटक माना गया है। यह अग्नि तत्व को कम करके वहां पर पृथ्वी तत्व को भरता है जिससे शारीरिक कमजोरी दूर हो जाती है।
4. बालों के विकास में पृथ्वी मुद्रा के फायदे —
पृथ्वी मुद्रा सिर्फ शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं के लिए ही नहीं है बल्कि अगर आप अपने बालों को स्वस्थ्य और चमकदार बनाना चाहते हैं तो आपकेा पृथ्वी मुद्रा का नियमित अभ्यास करना चाहिए। पृथ्वी मुद्रा हमारे सम्पूर्ण शारीरिक विकास में सहायता करता है उसी सम्पूर्ण शरीर में बाल भी आ जाते हैं। अत: इस मुद्रा में रिंग फिंगर में निश्चित दबाव से बालों के पुन: उत्सर्जन अर्थात उगने होने में मदद मिलती है। अगर आप इस मुद्रा को नियमित करते हैं तो यह आपके शरीर की कोशिकाओं के उत्पादन के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है साथ ही यह बालों के झड़ने व असमय सफदे होने को भी रोकती है।
5. वजन बढ़ाने में पृथ्वी मुद्रा के फायदे –
अगर आपका वजन कम रहता है और आप वजन बढ़ाना चाहते हैं तो आपकेा पृथ्वी मुद्रा अग्नि मुद्रा का नियमित अभ्यास करना चाहिए क्योंकि यह अग्नि तत्व को कम करने में मदद करती है। अग्नि तत्व शरीर में अधिक होने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है और इससे वजन कम होता है। इसके विपरीत पृथ्वी मुद्रा शरीर में अग्नि तत्व को कम कर पृथ्वी तत्व को बढ़ाती हैं जिससे आपका वजन बढ़ जाता है। जो लोग अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं तो उन्हें पृथ्वी मु्द्रा का अभ्यास अवश्य करना चाहिए।
पृथ्वी मुद्रा को करने का तरीका – How to do Prithvi Mudra
पृथ्वी मुद्रा को बहुत ही सरल माना जाता है मगर अगर इस मुद्रा को सही प्रकार से नहीं किया जाय तो यह आपके लिए लाभदायक नहीं होगी। अत: हम आपको यहां इसको सही प्रकार से करने की सारी विधि बताने जा रहे हैं जो निम्न हैं —
- सबसे पहले आपको आरामदायक कपड़ों को पहनना चाहिए।
- फिर किसी साफ सुधरे एवं सुखद स्थान पर मैट को बिछा कर बैठ जाएं।
- आपकी स्थिति पद्मासन या सुखासन की होनी चाहिए और अपनी रीड की हड्डी बिल्कुल सीधी रखें।
- अपनी सांस को सामन्य रखते हुये अपने शरीर को आरामदायक स्थिति में रखें।
- अब अपने हाथों को बिल्कुल सीधा अपने दोनों घुटनों के उपर रखें।
- इसक पश्चात अपनी दोनों हाथों की अनामिका अर्थात रिंग फिंगर के ऊपरी हिस्से को अंगूठे के ऊपरी हिस्से अर्थात पोर से छुये। दोनों की इसी स्थिति में रखें।
- अब आँखों को बंद करके अपनी श्वास की ओर ध्यान लगये रखेने की कोशिश करें।
- हो सके तो आप अपनी इस मुद्रा को कम से कम 30 से 45 मिनिट तक बनाये रखें।
- प्रतिदिन आप इतने ही समय तक इस मुद्रा का अभ्यास करें।
पृथ्वी मुद्रा को करते समय बरती जाने वाली सावधानी – Precaution of prithvi mudra
किसी भी योग के जितने फायदे होते हैं उसकी प्रकार इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं अत: इसको करते समय आपको कुछ सावधानियां अवश्य बरतनी चाहिए जो निम्न हैं —
- अगर किसी कारण से आपकी कमर में दर्द रहता है तो आपको अधिक समय तक अपनी रीड की हड्डी को सीधा नहीं रखना चाहिए। इसलिए आपको इस मुद्रा को कम अवधि के लिए करना चाहिए। जिससे आपकी रीड की हड्डी में अधिक जोर न पड़े।
- पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास केवल एक हाथ से नहीं होता है अत: इसका अभ्यास आपको दोनों हाथों से करना चाहिए।
- इस मुद्रा का अभ्यास आपको भोजन करने के कम से कम एक घंटे बाद ही करना चाहिए। मगर यह उचित होगा कि आप इसे खाली पेट और प्रात: काल करें। इससे आपको अधिक लाभ प्राप्त होगा।
- पृथ्वी मुद्रा को शुरू करने से पहले आप कुछ देर तक गहरी और लम्बी सांस लें और अभ्यास शुरू करें तो अपनी सांसों को सामान्य रखें।
- इस मुद्रा को करते समय अनामिका को आप अंगुठे से स्पर्श करते हैं मगर अन्य तीन उंगलियों को आप बिल्कुल सीधा रखें।
- अनामिका को अंगूठे से स्पर्श करते समय अंगूठे से उसमें हल्का दबाव डालना चाहिए।
दोस्तों हमने इस लेख Prithvi Mudra में आपको इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है। हम आशा करते हैं कि आपको इस लेख के माध्यम से पृथ्वी मुद्रा को करने के तरीके एवं पृथ्वी मुद्रा के फायदों के बारे में जानकारी मिल गई होगी। अगर आपको यह लेख Benefits of Prithvi Mudra अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें।