कस्तूरी एक बहुत ही दुर्लभ सुगन्धित पदार्थ है। दुर्लभ इसलिए क्योंकि यह एक मृग अर्थात हिरण से प्राप्त किया जाता है।
यह किसी भी मृग से नहीं प्राप्त होता है यह विशेष प्रकार के मृग कस्तूरी मृग जो उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाये जाने वाले नर मृग के गुदा क्षेत्र में स्थित एक ग्रंथि से प्राप्त होता है।
यह बहुत कीमती होने के साथ ही बहुत उपयोगी है अत: कस्तूरी के फायदों को जानने से पहले इसके बारे में हमें यह जान लेना चाहिए कि कस्तूरी क्या हैं, इसमें क्या गुण पाये जाते हैं और किस तरह से यह हमारे लिए फायदेमंद है।
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कस्तूरी क्या है? Kasturi in Hindi
ऐसा पदार्थ जिसमें से तेज गंध निकलती है और नर कस्तूरी मृग के पीछे या गुदा क्षेत्र में स्थित एक ग्रंथि से प्राप्त किया गया हो उसे कस्तूरी कहा जाता है।
इस पदार्थ का उपयोग प्राचिन समय से ही इत्र या कहें सुगन्धित पदार्थ बनाने के लिए किया जाता रहा है।
यह पूरी दुनिया में सबसे कीमती पशु उत्पादों में से एक है।
कस्तूरी नाम संस्कृत भाषा से उत्पन्न माना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है ”अंडकोष”।
आज हमें बाजार में कई प्रकार की कस्तूरी मिल जायेगी मगर असली कस्तूरी एक विशेष प्रकार के हिरण के निस्राव वाही कोष अर्थात अण्डकोषों का सूखा हुआ रस होता है।
यह हिरण या कहे कस्तूरी मृग जिसे अंग्रेजी में मस्क डियर (Musk Deer) कहा जाता है भारत, चीन, रूस, नेपाल, तथा हिमालय के दूसरे हिस्सों में आठ हजार फीट की उंचाई वाले पहाड़ी जंगलों में पाया जाता है।
नर हिरण की इस कस्तूरी की सुगन्ध से माता हिरण इसकी ओर आ जाती है। कस्तूरी वयस्क हिरणों में ही पाई जाती है यह बच्चों में नहीं होती है।
यह कस्तूरी एक गोल नुमा एक से डेढ़ इंच के थैले में बन्द रहती है। इसका आकार चपटा सा और चिकना होता है।
कहा जाता है कि यह हिरण अपनी ही कस्तूरी की सुगंध से इतना प्रभावित हो जाता है कि इसे पूरी जंगल में ही ढूंढता रहता है और उसे यह पता नहीं रहता है कि यह उसके पास ही होती है।
इसकी इसी सुगंध के कारण शिकारी उसे आसानी से ढूंढ लेते हैं।
कस्तूरी को प्राप्त करने के लिए हिरण को मार दिया जाता है और उसकी उस ग्रंथि को जिसे कस्तूरी फली कहा जाता है निकाल लेते हैं।
इसके सूखने पर इस फली के अन्दर का चिपचिपा पदार्थ काले रंग के दानेदार दानों में बदल जाता है।
जिसे कस्तूरी दाना कहा जाता हैं और इसके बाद में एल्कोहल में में मिला कर ही इसकी सुगंध को प्राप्त किया जाता है।
इसकी सुगन्ध को मिट्टी के जैसी, लकड़ी या छोड़े बच्चों की त्वचा की गंध से मिलता जुलता माना गया है।
कस्तूरी कभी प्रकार के सुगंधित पदार्थो में सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी गयी है।
इसका उपयोग इत्रों की सुगंध को और तीव्र करने के लिए भी किया जाता रहा है।
इसका प्रयोग मात्र सुगंध के लिए ही नहीं किया जाता है इसका प्रयोग कई प्रकार की दवाओं में भी किया जाता रहा है।
कस्तूरी को कई और जगह से प्राप्त किया जाता है।
कस्तूरी मूषक जो अमेरिका में पाया जाने वाला जानवर है ऐसा माना जाता है कि यह कस्तूरी जैसी गंध छोड़ने के लिए जाना जाता है।
आस्ट्रेलिया के दक्षिणी भाग में भी एक कस्तूरी बतख बिजियुरा लोबाटा, कस्तूरी बैल, कस्तूरी बीटल, कस्तरी कछुवा, अफ्रीकी सीविट सीविटिकटीस सीविटा के साथ ही अमेरीका के मगरमच्छ में भी यह पाया जाता है मगरमच्छ में तो यह दो जोड़ी में होता है।
ऐसा माना जाता है कि कस्तूरी जैसी ग्रंथि अन्य जानवरों के साथ ही कई प्रकार के पौधों में भी पायी जाती है।
कस्तूरी के विभिन्न नाम
कस्तूरी को कई नामो से जाना जाता है। अलग—अलग देशों, प्रान्तों में इसे अलग नामों से जानते हैं।
संस्कृत में मृगनाम, कस्तूरी, हिन्दी में कस्तूरी, मराठी व गुजराती में भी इसे कस्तूरी के नाम से जाना जाता है।
बंगाली में मृगनाभि, अंग्रेजी में मस्क (Musk), फारसी में मुश्क, अरबी में मिस्क व लेटिन भाषा में मासकस मासकी फेरस के नाम से जाना जाता है।
कस्तूरी के प्रकार
कस्तूरी के मिलने वाले स्थानों को देखते हुए इसको सामान्यत: तीन भागों में बांटा गया है।
आयुर्वेद के ग्रन्थों में भी इसके तीन भेद बताये गये हैं जो हैं कपिल वर्ण, पिंगल वर्ण और कृष्णवर्ण।
नेपाल देश में पायी जाने वाली कस्तूरी को इसके भूरे रंग के होने के कारण इसको कपिल वर्ण कहा गया है।
भारत के कश्मीर में पायी जाने वाली कस्तूरी को पिंगल वर्ण माना जाता है।
भारत के आसाम में पायी जाने वाली कस्तूरी को इसके काले रंग के कारण कृष्णवर्ण नाम दिया गया है।
कई जगहों में इसे पांच प्रकार का भी मना जाता है। मगर व्यापार की दृष्टि से देखें तो इसे तीन श्रेणी में बांटा गया है।
पहली है रूस में पायी जाने वाली कस्तूरी इसकी सुगन्ध बहुत ही सामान्य होती है इस लिए इसका प्रयोग बहुत ही कम किया जाता है।
दूसरी है आसाम में पाई जाने वाली कस्तूरी। इस कस्तूरी की सुगन्ध अत्यंत अधिक व मनमोहक होती है।
इसलिए इसको सबसे अच्छी व उच्च श्रेणी की कस्तूरी में रखा गया है।
तीसरी प्रकार की कस्तूरी चीन में प्राप्त होती है इसकी कीमत औरों के अपेक्षा अधिक होती है।
यह कस्तूरी तिब्बत, मंगोलिया में पायी जाती है।
कस्तूरी की पहचान कैसे करें
बाजार में कस्तूरी की ऊँची कीमत और इसकी मांग इसका प्रतिरूप तैयार करने का कारण बनती है।
अर्थात इसको कई प्रकार की मिलावट करने भी बनाया जाता है। कई प्रकार की वनस्पतियां, सूखार खून, यकृत, जौ के दाने को मिलाकर इसको तैयार किया जाता है।
कस्तूरी को इसकी सुगन्ध मात्र से नहीं पहचाना जा सकता क्योंकि कस्तूरी अपनी सुगन्ध को दूरी चीजों में जल्द ही मिला देती है। इसके लि कई उपाय अपनाये जाते हैं जो निम्न हैं —
- अगर कस्तूरी के दानों को जलते अंगारों में डाल दिया जाय तो यह बबूले के रूप में दिखाई देते हैं और अगर कस्तूरी मिलावटी होती है तो वह राख में परिवर्तित हो जाती है।
- चीन में इसको पहचानने के लिए कई प्रकार के तरीके हैं उनमें से एक प्रमुख है इसके दानों को लेकर पानी में डाल देना चाहिए अगर यह उसमें वैसी ही रह जाये तो यह असली है। अगर वह घुल जाये तो समझ लेना चाहिए वह नकली है।
- कस्तूरी को स्पर्श करने से पता चलता है कि वह मुलायक होती है और मिलावटी वाली एक समान नहीं होती है।
- भारत के पंजाब प्रांत में माना जाता है की एक धागे को हींग में अच्छी तरह से भिगाकर कस्तूरी से बीच से निकाला जाता है अगर कस्तूरी की सुगन्ध हींग की खुशबु को हटा दे तो समझ लेना चाहिए कस्तुरी असली है।
- असली कस्तूरी को जलाने पर उसमें से चमड़े के चलने के समान बदबू जाती है और चिंट—चिंट जैसी आवाज भी निकलती है। वर्तमान समय में कस्तूरी मृग को लुप्त प्रजाती में डाला गया है जिस कारण इसको मारना कानूनन मना है। इस कारण कस्तूरी को कैमिकली तैयार किया जा रहा है।
कस्तूरी के फायदे और इसके प्रभाव-Kasturi Ke Fayde In Hindi
कस्तूरी कई प्रकार से लाभदायक होती है। मगर इसके लाभ के अलग—अलग मत हैं जिनका उल्लेख हम यहां नीचे करेंगे।
- आयुर्वेद के अनुसार कस्तूरी धातु परिवर्तक, आंखों के लिए लाभदायक होने के साथ ही काम उत्तेजना बढ़ाने वाली होती है।
- कस्तूरी कुष्ठ रोग, कील—मुहासों, कफ, वात, पसीने के बदबु को हटाने, तृष्ठा, मूर्छा, खांसी और जुखाम को ठीक करने के लिए उपयोगी होता है।
- यूनानी डॉक्टरों के अनुसार कस्तूरी यूनानी इलाज में काफी महत्वपूर्ण है। दिल, दिमाग, कामेन्द्रिय, फेफड़ों आदि शरीर के अन्य अंगों को मजबूत करने वाली मानी जाती है कस्तूरी।
- यह भी माना जाता है कि जहर के प्रभाव को कम करने की शक्ति इसमें पायी जाती है।
- इसको सूंघने से जुखाम और सर्दी में फायदा होता है।
- आंखों में धुन्ध और पुतली में लगा जाला कट जाता है।
- हृदय रोगियों के लिए यह बहुत उपयोगी होती है। इसके प्रयोग से हृदय रोग में लाभ होता है।
- जिन्हें सांस की बिमारी होती है उसमें भी उनको इसके प्रयोग से लाभ होता हैं
- दमा के रोगियों, पुरानी खांसी, कफ के दोष, मुंह से बदबु आना, पीलिया, कमजोर आंखों, चेहरे में समय से पहले झुर्रियां आना, मोटापन, सूजन, कमजोरी, नामर्दी में कस्तूरी का प्रयोग लाभदायक होता है।
- इसकी गरम प्रकृति के कारण यह गर्म मौसम में हानिकारक हो सकता है।
- इसका ज्यादा उपयोग आपके लिए हानिकारक हो सकता है। इसको अधिक खाने से आपका चेहरा पीला पड़ सकता है। अधिक सूंधने से दिमाग में नुकसान होता है। दांतो तो नुकसान होता है।
- जिन महिलाओं में गर्भाशयम अपने मूल स्थान से हट गया हो उसको पुन: अपने स्थान पर लाने के लिए कस्तूरी और केशर को बराबर मात्रा में लेकर पीस लेना चाहिए तथा गोलियां बनाकर मासिक धर्म के शुरू होने से पहल योनी मुख में रखना चाहिए। तीन से चार दिन में यह प्रक्रिया करने से आपको लाभ होगा।
कस्तूरी के अन्य फायदे
कस्तूरी के प्रयोग से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ होते हैं जिनका विवरण हम आपको नीचे देने जा रहे हैं। आइयें देखते हैं कस्तूरी के प्रयोग से कौन—कौन से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।
रोग प्रतिरोधकता क्षमता को बढ़ाने के लिए कस्तूरी
कस्तूरी के प्रयोग से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधकता क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है।
इसमें प्रचूर मात्रा में विटामिन ई और सी पाये जाते हैं जो कस्तूरी को एंटी-इंफ्लेमेट्री और एंटीऑक्सीडेंट बनाते हैं। यह रासायनिक क्रिया के दौरान के दौरान रोगाणुओं के विरूद्ध लड़ने में मदद करता है जिससे हम रोगों से सुरक्षित रह सकें।
दिल के लिए कस्तूरी के फायदे
कस्तूरी के सेवन से हमारा दिल स्वस्थ रहता है। इसमें मैग्नीशियम और पोटेशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है जो रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
कस्तूरी के प्रयोग से हमारे हृदय की धमनियों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है जिससे हमारे शरीर में रक्त प्रभाव ठीक बना रहता है।
इसके साथ ही यह धमनियों में होने वाले ब्लाकेज को भी नहीं होने देता है जिससे हमारा हृदय सही प्रकार के काम करता है और वह स्वस्थ्य रहता है।
आंखों के स्वास्थ्य के लिए कस्तूरी
आंखो के स्वास्थ्य के लिए जिंग को बहुत अच्छा तत्व माना जाता है और कस्तूरी में यह प्रचूर मात्रा में पाया जाता है इसकी कारणवश कस्तूरी को आंखों के लिए एक वरदान कहा जाता है।
जिंग हमारी आंखो की रोशनी को बढ़ाने में मदद तो करता ही है साथ ही हमारी रेटिना को भी स्वस्थ रखता है।
हड्डियों के लिए कस्तूरी के लाभ
हड्डियों को मजबूती देने व उसे स्वस्थ्य रखने के लिए कैल्शियम, आयरन, कॉपर, जिंक और अन्य तत्वों की आवश्यकता होती है और यह सब कस्तूरी में बहुत अधिक मात्रा में प्राप्त होते हैं।
साथ ही हड्डियों गठिया रोग में होने वाले दर्द को कम करने के लिए भी कस्तूरी में सेलेनियम नामक मिनरल होता है।
सेक्सुअल हेल्थ के लिए कस्तूरी के फायदे : कस्तूरी जिंक की प्रचूर मात्रा पाई जाती है जो टेस्टोस्टेरोन को बनाने में सहायता करता है।
यह शरीर में पैदा होने वाले वाला एक हार्मोन है जो यौन गतिविधियों को नियंत्रित रखता है। यह इंटिमेसी के समय हार्मोन के बनने में पुरुषों व महिलाओं की सहायता करता है।
कस्तूरी का सेवन कैसे किया जाय
इसक आधी रत्ती से एक रत्ती तक प्रयोग किया जाता है।
इसमें अमोनिया, एलेइन, फैट, वैक्स, चोलेसेरियन, गलेटिनस, और अल्बुमिनस नामक पदार्थ पाये जाते हैं साथ ही इसमें क्लोरिडस अफ सोडियम, पोटेसियम और कैल्सीयम भी होता है।
इससे मस्कोन नामक तेल भी प्राप्त होता है। कस्तूरी से निर्मित दवा — मृगनाभ्यादिक वटी — यह दवा एक आयुर्वेदिक दवा है जिसके प्रयोग से शरीर में हो रहे आयरन की कमी को पूरा किया जाता है।
वीर्य की कमी को इनके प्रयोग से ठीक किया जा सकता है।
इनको उपयोग दूध या मलाई के साथ करना चाहिए। यह दवा आपको आयुर्वेदिक सेन्टरों, दवा की दुकानों में या फिर आनलाईन मिल जायेगी।
कस्तूरी व इससे बनी दवाओं के प्रयोग से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए उसके पश्चात ही इसका प्रयोग करना उचित रहता है।
कस्तूरी का तांत्रिक उपयोग
कस्तूरी एक तांत्रिक उपकरण है जो कई रूपों में उपयोगी होता है। यह मुख्य रूप से सुगन्ध और अनुष्का के रूप में उपयोग किया जाता है। यह इंसान के अधिकतर भोजनों में विभिन्न स्वाद और खुशबू का तांत्रिक घटक है।
कस्तूरी तांत्रिक उपयोग में सबसे अधिक उपयोग होता है दर्शकों को आकर्षित करने के लिए। इसे इंडियन परफ्यूम और इंडियन अटार बनाने में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, कस्तूरी के तेल को नेत्र विशेषज्ञों द्वारा उपयोग किया जाता है जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा, कुछ लोग इसे त्वचा के लिए भी उपयोग करते हैं क्योंकि इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा के अंदर की बैक्टीरिया को खत्म करते हैं।
कस्तूरी घर में रखने से क्या होता है?
कस्तूरी को घर में रखने से कुछ फायदे होते हैं।
- अच्छी खुशबू: कस्तूरी को घर में रखने से घर की महक अधिक बढ़ जाती है और अच्छी खुशबू आती है। यह आपके घर की महक बढ़ाता है और आपके मन को शांत करता है।
- मानसिक चैन: कस्तूरी की खुशबू का इस्तेमाल मानसिक चैन लाने में मदद कर सकता है। यह आपके मन को शांत करता है और आपको नींद भी लाता है।
- इंटीमेट अटमस्फीयर: कस्तूरी की खुशबू इंटीमेट अटमस्फीयर को बढ़ाती है और पार्टनर्स के बीच संवेदनशीलता को बढ़ाती है।
कस्तूरी रखने का तरीका–
कस्तूरी को रखने का तरीका निम्नलिखित है:
- खुशबू देने वाले चीजों के साथ रखें: कस्तूरी को बढ़िया खुशबू देने वाले चीजों के साथ रखना उचित होता है। इससे उसकी खुशबू बढ़ जाती है और आपके घर की खुशबू भी बढ़ जाती है।
- अलमारी में रखें: कस्तूरी को अलमारी में रखना उचित होता है क्योंकि यह उसकी खुशबू को आपकी कपड़ों में भी आने देगा।
- खुले जगह पर रखें: कस्तूरी को खुले जगह पर रखना भी उचित होता है।
कस्तूरी की कीमत क्या है?
कस्तूरी की कीमत अलग-अलग जगहों पर भिन्न होती है। यह भारत में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्यों में उगाई जाती है। इसकी कीमत इसकी गुणवत्ता, उपयोग और विभिन्न विक्रेताओं द्वारा निर्धारित की जाती है।
बाजार में कस्तूरी की कीमत 10 रुपये से 100 रुपये प्रति 100 ग्राम तक हो सकती है। अधिकतर बाजार में आमतौर पर कस्तूरी की कीमत 30-50 रुपये प्रति 100 ग्राम तक होती है।
Asli kasturi ki pehchan
असली कस्तूरी की पहचान करने के लिए आप निम्नलिखित टिप्स का उपयोग कर सकते हैं:
- देखें: असली कस्तूरी चॉकलेटी या काले रंग की होती है जबकि असली केसर के रंग में थोड़ा सा पीला शामिल होता है। इसलिए असली कस्तूरी की पहचान के लिए रंग एक महत्वपूर्ण पैरामीटर होता है।
- सुगंध जांच करें: असली कस्तूरी तेज और मिष्ट सुगंध देती है, जबकि नकली कस्तूरी की सुगंध फिकी होती है। इसलिए, सुगंध का भी एक महत्वपूर्ण भूमिका होता है जब आप असली कस्तूरी की पहचान करते हैं।
- टच करें: असली कस्तूरी को छूने पर वह सफेद और सूखी होती है और आसानी से टूट जाती है। जबकि नकली कस्तूरी थोड़ी भी आसानी से टूटने वाली नहीं होती है।
- जल में घोलें: असली कस्तूरी को जल में घोलने पर वह द्युतिमान हो जाती है। जबकि नकली कस्तूरी जल में घोलने पर अपनी रंगत बदलती नहीं है।
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