आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे इन हिंदी | Arogyavardhini Vati Benefits

Arogyavardhini Vati ke Fayde in Hindi-आरोग्यवर्धिनी वटी पित्त, कुष्ट रोग, वात, बुखार के लिए फायदेमंद होती है साथ ही यह वटी पाचन, पथ्यकारक, हृदय से सम्बन्धित बिमारियों, मोटापे को कम करने, कब्ज को हटाने के लिए, भूख बढ़ाने में और कई अन्य बिमारियों में भी लाभदायक होती है।

जहां तक इसका मुख्य रूप से उपयोग की बात है तो यह कुष्ट रोगों में होता है।

आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदों के बारे में जानने से पहले हमें इस वटी के बारे में जान लेना चाहिए कि यह क्या है और कैसे काम करती है।

Table of Contents

आरोग्यवर्धिनी वटी क्या है-What is Arogyvardhini vati?

आरोग्यवर्धिनी वटी एक आयुर्वेदिक दवाई है।

आयुर्वेद में वटी अर्थात कल्पना का प्रयोग भिन्न शारीरिक रोगों को खत्म करने लिए किया जाता है|

आरोग्यवर्धिनी वटी क्या काम आती है?

आरोग्यवर्धिनी वटी का शाब्दिक अर्थ आरोग्य का वर्द्धन करने वाला है अर्थात रोगों को समाप्त करने वाला| इसे आरोग्यवर्धिनी रस भी कहा जाता है।

यह वटी हमारी पाचन शक्ति् को बढ़ाता है, दीपन, पथ्य, हृदय सम्बन्धी रोगों, मलशोधन औषधीय कर्मों से युक्त है|

इसी लिए इस आरोग्यवर्धिनी वटी का इस्तेमाल हर प्रकार के ज्वर—बुखार में किया जाता है|

जैसे — वातिज ज्वर, पित्तज ज्वर, कफज ज्वर एवं सनिपताज ज्वर में इसका प्रयोग आयुर्वेद में किया जाता है|

लिवर से सम्बंधित बिमारियों जैसे लीवर सिरोसिस, पीलिया आदि रोगों में आरोग्यवर्धिनी वटी का प्रयोग लाभकारी होता है|

साथ ही तेज बुखार, संक्रमण, त्वचा के रोगों, आंतो से सम्बन्धित बिमारियों और कुष्ठ रोग आदि में आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका वटी के प्रयोग की सलाह देते हैं।

इसको शुद्ध गंधक व शुद्ध पारद के साथ अन्य सहयोगी पदार्थो को आपस में मिलाने से इसको बनाया जाता है। आज कल बाजार में भी यह आसानी से मिल जाती है।

जैसे – दिव्य आरोग्यवर्धिनी, डाबर आरोग्यवर्धिनी आदि।

आरोग्यवर्धिनी वटी को बनाने के घटक -आरोग्यवर्धिनी वटी Ingredients

इसके निर्माण की विधि रसरत्नसमुच्चय के कुष्ठ की चिकित्सा में मिलता है|

रसरत्नसमुच्चय में बताई गयी विधि को हम आपको यहां बताने जा रहे हैं।

S.No.घटक द्रव्यघटक की मात्रा
1.लौह भस्म 1 भाग
2.अभ्रक भस्म 1 भाग
3.ताम्र भस्म 1 भाग
4.त्रिफला चूर्ण 2 भाग
5.शुद्ध पारा 1 भाग
6.शुद्ध गंधक 1 भाग
7.चित्रकमूल छाल 4 भाग
8.कुटकी18 भाग
9.नीम की पत्तियों का रस आवश्यकतानुसार
10.शुद्ध शिलाजित 3 भाग
11.शुद्ध गुग्गुल 4 भाग

आरोग्यवर्धिनी वटी को तैयार करने की विधि

विधि – इसको तैयार करने के लिए प्रथम शुद्ध गंधक एवं शुद्ध पारे से कज्जली बनाते हैं|

कज्जली काले रंग की कीचड़ की तरह होती है|

कज्जली बनाने के लिए सबसे पहले इन दोनों को खरल में अच्छी प्रकार से घोटा जाता है जिससे कज्जली का निर्माण हो जाता है|

इस तैयार कज्जली में शेष सभी घटको के चूर्ण को मिलाकर नीम की पत्तियों के रस डाला जाता है। तथा इसे दो दिनों तक उसी में छोड़ देते हैं।

जब मिश्रण गाढ़ा होने लगता है तब इसे मखमल के कपड़े से छान लिया जाता है। इस मिश्रण के 250 mg के लगभग गोलियां बन जाती है।

ऐसे आरोग्यवर्धिनी वटी का निर्माण होता है |

सेवन की मात्रा —

3 से 4 गोली अपने रोग के अनुसार पानी, दूध के साथ साथ लेना चाहिए।

आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे इन हिंदी-Arogyavardhini Vat Benefits

  • यह वटी हमारे शरीर के पाचन तंत्र को मजबूत करती है। शरीर के स्त्रोतों को साफ अर्थात शोधन करती है। हमारे हृदय को मजबूत करती है साथ ही हमें कब्ज की बिमारी से मुक्ति दिलाती है।
  • यकृत—लीवर, वृक्क, गर्भाशय, आन्त, हृदय आदि के अन्तरावयव के शोध में, तेज बुखार में यह वटी लाभदायक होती है।
  • लीवर सिरोसिस, फैटी लीवर, पीलिया, यकृत के आकार का बढ़ना आदि में इस वटी के सेवन से लाभ प्राप्त होता है।
  • आंतो के सभी प्रकार के विकारों में भी इसका प्रयोग लाभ दायक होता है| इसके प्रयोग से आंते साफ होती है एवं अगर आंतो में कोई इन्फेक्शन होता भी है तो वह ठीक हो जाता है।
  • सभी प्रकार के बुखार में आयुर्वेदिक चिकित्सक इस वटी का प्रयोग करते है|
  • शरीर में किसी भी स्थान पर इन्फेक्शन होने पर इस वटी का प्रयोग किया जा सकता है। इसके प्रयोग से इन्फेक्शन में आराम मिलता है|
  • शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ती है और हमारी सामान्य बिमारियों से रक्षा करती है|
  • हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करती है करने के साथ ही हमें हमारे बढ़ते वजन व मोटापे को घटाने में मदद करती है। शरीर में बढ़ रही चर्बी को कम करने के लिए इसका सेवन गाय के दूध के साथ ही करना चाहिए।
  • शरीर में पोषक तत्वों के कारण होती कमजोरी या विकृति से शरीर की शारीरिक व मानसिक वृद्धि रूक जाती है और शरीर निर्जीव का लगने लगता है। ऐसे में इस वटी का प्रयोग करना हमारे लिए लाभ दायक होता है।
  • कुष्ट रोग की शुरूवाती अवस्था में इसका प्रयोग करने से तुरन्त लाभ होता है। जब कुष्ट रोग अपनी तिसरी स्टेज में अर्थात जब कुष्ट हुये स्थान से रक्त व मवाद निकलने लगती है तब यह लाभदायक नहीं होती है।
  • कुष्ट रोग के औदुम्बर कुष्ट में शरीर की त्वचा में स्पर्श व छूने का अहसास होना बन्द हो जाता है। किसी के भी हमें छूने यो किसी वस्तु के स्पर्श होने से उस स्थान में उसका अहसास नहीं होता। ऐसे स्थिति में केवल आरोग्यवर्धिनी वटी ही उचित नहीं होता बल्कि उसके साथ गन्धक रसायन को मिलाकर देना ठीक रहता है। कैसे खाना है इसके बारे में डॉक्टर से सलाह कर लेनी चाहिए।

आरोग्यवर्धिनी वटी के नुकसान —

आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदों के सामने इससे होने वाले नुकसान नगण्य हैं।

फिर भी इसका लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह कर लेनी चाहिए अर्थात उसकी देखरेख में भी इसे लेना चाहिए।

गर्भावस्था में महिलाओं को, दाह, मोह, तृष्ठा व पित्त के रोगियों को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

Arogyavardhini Vati से जुड़ी चेतावनी – Arogyavardhini Vati Related Warnings

हम नीचे कुछ Arogyavardhini Vati से जुड़ी कुछ चेतावनियों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो आपके लिए बहुत ही  लाभदायक होंगे।

1- क्या Arogyavardhini Vati का प्रयोग गर्भवती महिला कर सकती हैं ?

गर्भवती महिलाओं को Arogyavardhini Vati का उपयोग बिना अपने डॉक्टर की अनुमती नहीं करना चाहिए। अगर आप बिना डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन करती हैं तो यह आपके लिए हानिकारक हो सकती हैं। यह एक जड़ी—बूटी है वैसे तो इसका विपरीत प्रभाव कम ही देखा जाता है किन्तु फिर भी आपकेा इसके प्रयोग से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य कर लेनी चाहिए।

2- क्या Arogyavardhini Vati का उपयोग बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिलाऐं कर सकती हैं?

कर सकती हैं पर इससे पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए अगर वह अनुमति दें तो ही इसका प्रयोग करें।

3- क्या Arogyavardhini Vati कहीं शरीर को सुस्त तो नहीं करती है?

यदि आप Arogyavardhini Vati का सेवन करते हैं तो इससे चक्क्र आना या कमजोरी आना जैसी कोई दिक्कत नहीं होती है। अत: आप इसके प्रयोग के बाद सामान्य रूप से प्रत्येक कार्य कर सकते हैं।

4- पेट पर Arogyavardhini Vati का क्या असर होता है?

Arogyavardhini Vati पेट के लिए सुरक्षित होती है। इससे पेट को कोई नुकसान नहीं होता है।

5- क्या Arogyavardhini Vati की लत लग सकती है?

नहीं, ऐसा नहीं देखा गया है। यदि आप Arogyavardhini Vati को डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेते हैं तो ऐसा नहीं होगा।

6- क्या शराब के सेवन के बाद Arogyavardhini Vati का उपयोग किय जा सकता है?

शराब के सेवन करने वाले के उपर Arogyavardhini Vati का क्या प्रभाव होगा इसका अभी तक पता नहीं है। अत: यदि आप शराब या एल्कोहल का सेवन करते हैं तो आपको इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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